Wednesday, March 9, 2016

दवा गले मे ही रोक ली


    एक हकीम साहिब(लुकमान हकीम) दवा-दारू के विषय में अत्यन्त प्रसिद्ध और दक्ष थे। उनके हाथ में कुछ ऐसी शिफा थी कि जिस किसी का भी उपचार करते थे, वह चाहे कैसा भी रोगी क्यों न हो, ठीक हो जाता था। चिकित्सा शास्त्र की पुस्तकों और दवाओं से लदे हुए सत्तर ऊँट हर समय उनके साथ रहते थे। एक बार वह कहीं जा रहे थे कि मार्ग में उन्हें एक विचित्र आकृति का व्यक्ति मिला। हकीम साहिब ने
उससे पूछा-तुम कौन हो? उसने उत्तर दिया-मैं मौत का फरिश्ता हूँ। हकीम साहिब ने पूछा-तुम्हारा क्या काम है और अब कहां जा रहे हो? उसने उत्तर दिया-लोगों के प्राण करना मेरा काम है और आज अमुक व्यक्ति के प्राण लेने हैं। हकीम साहिब ने फिर पूछा-किस तरह से उसके प्राण लोगे? उसने कहा-उस व्यक्ति के पेट में ऐसा दर्द पैदा करूँगा जिससे वह अच्छा न हो सकेगा और अन्ततः प्राण त्याग देगा।
     यह कहकर वह गायब हो गया। हकीम साहिब ने औषधियों का बक्स संभाला और उस व्यक्ति के पास जा पहुँचे जिसके विषय मे मौत के फरिश्ते ने बतलाया था। नियत समय पर जब उस व्यक्ति के पेट में दर्द आरम्भ हुआ तो उस रोग की एकअचूकऔषिधि उसे दी, परन्तु जब कोई लाभ न हुआ तो फिरअन्य अऩुभूत औषधियाँ आज़मानी शुरू कीं। गोली,अर्क,चूर्ण, जोशांदा,माज़ून अवलेह-सभी कुछ दिया,परन्तु कछअसर न हुआ,प्रत्युत दर्द बढ़ता ही गया।अन्ततः दो-तीन घंटे दर्द से तड़प तड़प कर रोगी ने प्राण त्याग दिये। हकीम साहिब सोचने लगे कि जब मृत्यु अटल एवं अवश्यंभावी है और कोई औषधि प्राभावकारी नहीं हो सकती तो फिर हम उपचार किसका करें और ये पुस्तकें तथा औषधियां लादे-लादे क्यों मारे-मारे फिरें?यह सोचा और सब सामानअर्थात पुस्तकें तथा औषधियाँ आदि लेकर इस निश्चय के साथ नदी के किनारे पहुँचे कि सब सामान नदी में डुबो देंगे कि उसी समय वही विचित्र आकृति का व्यक्ति सामने आ उपस्थित हुआ और कहने लगा-हकीम साहिब!यह क्या धुन सवार हुई? हकीम साहिब ने उत्तर दिया-जब इन औषधियों से रोगी को कोई फायदा ही नहीं होता,न इनका प्रभाव रोगी पर होता है तो फिर इनके रखने से लाभ ही क्या?क्यों न इनको डुबो दिया जाए? मौत के फरिश्ते ने कहा-ऐसी बात नहीं है कि इन औषधियों में असर न हो। परमात्मा ने जिस वस्तु में जो असर रखा है,वह वस्तु वह असर अवश्य प्रकट करती है,परन्तु उसी समय जबकि उसे प्रकट करने का अवसर मिले। फिर जितनी औषधियाँ हकीम साहिब ने रोगी को दी थीं, वे सब दिखा करके मौत के फरिश्ते ने कहा-जिस समय रोगी के गले से औषधि उतरती थी, मैं लेता जाता था। उसे पेट मे जाने ही नहीं देता था अब आप ही बताइये कि असर किस का प्रकट होता?असर तो तब प्रकट होता जब मैं औषधि पेट में जाने देता। और हकीम साहिब को समझा-बुझाकर उन्हें औषधियां तथा पुस्तकें नदी में डुबोने से रोका। प्रभाव तो हर एक वस्तु का होता है,परन्तु जब मौत का समय आ जाता है तो फिर कोई औषधि अथवा उपाय काम नहीं आता।



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