Monday, March 7, 2016

नाम से ही सब पवित्र होते हैं


    हमारे गुरुदेव श्री दूसरी पादशाही जी महाराज फरमाया करते थे कि ब्राहृविद्या ऐसी विद्या है जिसके समक्ष वेद-शास्त्रों के ज्ञाता और प्रकांड पण्डित भी शीश झुका देते हैं। परमसन्त श्री कबीर साहिब जी कोई बड़े विद्वान नहीं थे परन्तु ब्राहृविद्या के मालिक थे। यही कारण है कि उनकी महिमा का लोहा उस समय के सभी विद्वान तो मानते ही थे,आज भी उनका प्रत्येक व्यक्ति के ह्मदय में वही स्थान है। एक बार वे कहीं जा रहे थे।मार्ग में काशी के एक विद्वान ब्रााहृण से भेंट हो गई जो हाथ में लोटा और कान पर जनेऊ लपेटे हुये शौच क्रिया से निपट कर वापिसआ रहे थे। श्री कबीर साहिब जी उन्हे चेताना चाहते थे अतएव उन्होने कहा, ""पण्डित जी!राम राम।'' परन्तु पंडित जी ने कोई उत्तर न दिया। श्री कबीर साहिब जी ने कहा,""पण्डित जी!राम राम।''अब की बारी भी पंडित जी चुप रहे। श्री कबीर साहिब जी ने तीसरी बार फिर कहा,राम-राम। परन्तु पंडित जी ने फिर भी उत्तर न दिया। पंडित जी एक कुयें पर गये-लोटा मांजा, हाथ-पांव धोये और चल दिये। तब श्री कबीर साहिब जी ने उनके सम्मुख खड़े हो कर फिर कहा,""पंडित जी!राम-राम।''तब पंडित जी कहने लगे, ""कबीर जी!राम-राम।''श्री कबीर साहिब जी ने कहा जब मैंने पहले यही बात आप से कही तो आपने उस समय उत्तर क्यों नहीं दिया?पंडित जी कहने लगे कि उस समय मैंअपवित्र था,"'राम-राम''का पवित्र शब्द मैने कहना उचित नहीं समझा। श्री कबीर साहिब जी कहने लगे,""क्या अब आप पवित्र हो गये हैं?'' यदि हो गये हैं तो किससे? पंडित जी ने उत्तर दिया-जल से। श्री कबीर साहिब जी ने प्रश्न किया, जल किससे पवित्र होता है? पंडित जी ने उत्तर दिया कि वायु से। श्री कबीर साहिब जी ने पूछा, वायु किससे पवित्र होती है? पंडित जी ने उत्तर दिया,जब शेषनाग जी अपने सहरुा मुखों से भगवद्नाम का उच्चारण करते हैं तो वायु उस पवित्र नाम के स्पर्श से शुद्ध हो जाती है। श्री कबीर साहिब जी ने कहा, इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक वस्तु को  पवित्र करने वाला भगवान का पवित्र नाम ही है। मैने उसी नाम का उच्चारण करने के लिये ही तो कहा था,फिर आपने उत्तर क्यों न दिया?
     श्री कबीर साहिब जी के इन वचनों से प्रभावित होकर पंडित जी उनके चरणों पर गिर पड़े और उनके दरबार में उपस्थित होकर सतसंग का लाभ उठाने लगे। यह ब्राहृविद्या का ही प्रभाव है कि एक विद्वान को अनपढ़ की शरण में जाना पड़ा।

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