Friday, March 25, 2016

मंसूर को सूली दी


     मंसूर को वे सूली दे रहे थे। उसके पैर काट दिये,उसके हाथ काट दिये उसकी आँखें फोड़ दीं। दुनियाँ में उससे कठोर यातना कभी किसी को नहीं दी गयी।क्राइस्ट को जल्दी मार दिया गया।गाँधी को जल्दी गोली मार दी गयी,सुकरात को ज़हर दे दिया गया। मंसूर मनुष्य के इतिहास में सबसे ज्यादा पीड़ा से मारा गया। पहले उसके पैर काट दिये। जब उसके पैरों से खून बहने लगा,तो उसने खून को लेकर अपने हाथों पर लगाया। भीड़ इकट्ठी थी,लोग पत्थर फेंक रहे थे। उन्होने पूछा,""यह क्या कर रहे हो?'' उसने कहा,""वजू करता हूँ।'' मुसलमान नमाज के पहले हाथ धोते हैं। उसने अपने खून से अपने हाथ धोये। उसने कहा,"" वजू करता हूँ।'' और कहा,याद रहे मंसूर का यह वचन कि जो प्रेम की वजू है असली,वह खून से की जाती है, पानी से नहीं की जाती। और जो अपने खून से वजू करता है, वही नमाज में प्रवेश करता है।
   लोग बहुत हैरान हुए कि पागल है।जब उसे यातनाएं देते समय आँखें फोड़ दी गयीं,तब चिल्लाया कि,""हे परमात्मा स्मरण रखना। मंसूर जीत गया।''लोगों ने पूछा क्या बात है? किस बात में जीत गये? उसने कहा, परमात्मा को कह रहा हूँ।कि मैं जीत गया।मैं डरता था कि शायद इतनी शत्रुता में प्रेम कायम नहीं रह सकेगा। प्रेम कायम है। मंसूर जीत गया। इन्होने जो मेरे साथ किया है,मेरे साथ नहीं कर पाये।प्रेम कायम है। यही मेरी प्रार्थना है और यही मेरी इबादत है। मंसूर उस वक्त भी हँस रहा था, उस वक्त भी मस्त था। लोग मौत के सामने खुश रहे हैंऔर हँसते रहे हैं।और हम ज़िन्दगी के सामने उदास और रोते हुए बैठे हैं। यह गलत है।कोई उदास रास्ते,कोई विषाद से भरा हुआ चित्त कोई बड़े अभियान नहीं कर सकता है। अभियान के लिए उत्फुल्लता,अभियान के लिए बड़े आनंद से भरा हुआ चित चाहिए। तो चौबीस घंटे उत्फुल्लता को साधिये।ये सिर्फ आदतें हैं।उदासी एक आदत है,जिसको आपने बना लिया है। उत्फुल्लता एक आदत है, उसको बना सकते हैं।उत्फुल्लता बनाये रखने के लिये ज़रूरी है कि ज़िन्दगी का वह हिस्सा देखिये,जो प्रकाशित है,वह हिस्सा नहीं,जो अंधेरे से भरा है।मैंआप से कहूँ कि मेरा कोई मित्र हैऔर यह बहुतअद्भुत गीत गाता है या बहुत अद्भुत बांसुरी बजाता है। आप मुझसे कहेंगे, होगा। यह क्या बांसुरी बजायेगा। इसको हमने शराबखाने में शराब पीते देखा है। यह अंधेरा देखना है। अगर मैं आपसे कहूँ कि ये मेरे मित्र हैं, शराब पीते हैं। और
आप मुझसे कहें, होगा। लेकिन ये तो अद्भुत बांसुरी बजाते हैं। तो यह ज़िन्दगी के प्रकाशित पक्ष को देखना है।जिसको खुश होना है,वह प्रकाश को देखे।जिसको खुश होना है वह यह देखे कि दो दिनों के बीच में एक रात है। और जिसको उदास होना है, वह यह देखे कि दो रातों के बीच में केवल एक दिन है। हम कैसा देखते हैं ज़िन्दगी को, वैसा हमारे भीतर कुछ विकसित हो जाता है। तो ज़िन्दगी के अंधेरे पक्ष को न देखें उजाले पक्ष को देखें।

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