Tuesday, March 22, 2016

लैम्प का उदाहरण


उदाहरणतः आपने एक विज्ञापन पढ़ा कि,""अमुक लैम्प बहुत अच्छा है। उसमें तेल कम खर्च होता है रोशनी बहुत देता है,अमुक दुकान से वह मिल सकता है आदिआदि।''यदिआप लैम्प का विज्ञापन एक नहीं लाखों लाकर घर में लटका देवें तो क्या अंधेरा दूर हो जायेगा? कदापि नहीं। अन्धेरा तो तभी दूर होगा जब आप उस लैम्पों वाली दुकान पर पहुँचेंगे लैम्प लाकर घर में उसे जलाएंगे। विज्ञापन में लैम्प के गुणअवश्य लिखे हैं किन्तु वह अपने आप लैम्प नहीं। इसी प्रकार सभी धर्मग्रन्थ रामायण-महाभारत-गीता-गुरुवाणी-कुरान-बाइबिल सब के सब ईश्वर की महिमा से भरे हैं परन्तु वे स्वयं ईश्वर नहीं हैं। इसी प्रकार आपको अगर अपने घर में बिजली की आवश्यकता है तो उसके लिये बिजली के कार्यालय खुले हैं।जहाँ आपको बिजली लेने के लिये प्रार्थना पत्र देना पड़ता हैऔर सारी कार्वाही पूरी करने के बाद कार्यालय में आपकी एक फाईल तैयार हो जाती है।फाईल निस्सन्देह तैयार हो गई परन्तुआपके घर में रोशनी तो तभी होगी जब आप के घर की तार बिजली घर के साथ जोड़ी जाएगी। फाईल में बिजली की बातें अवश्य लिखी हैं किन्तु वे आपके घर को प्रकाशमय नहीं बना सकतीं। इसी तरहअनेक ग्रन्थ हमें रोशनी दिखाते हैं वे स्वय रोशनी नहीं हैं।जहाँ वे हमें भेजते हैं हमें वहाँ जाना चाहिये।जिस समय हमें रोशनी मिल जाएगी फिर ग्रन्थों को भी अधिक पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हाँ-वह बात अलग है कि जब कभी भजन अभ्यास की तार टूट जाती है तो धर्मग्रन्थों का सहारा भी लेना पड़ता है। सच्चाई तो यह है जिसे सन्तों ने साफ कह दिया हैः-
       बेद कतेब सिमृति सभि सासत इन पड़िआ मुकति न होई।।
       एकु अखरु जो  गुरुमुखि  जापै  तिस की  निरमल सोई।।
साहिबों का कथन है कि बेद-पुराण-स्मृति और शास्त्रों को पढ़ने से मुक्ति नहीं मिल सकती। मोक्ष प्राप्ति का तो सबसे सुगम मार्ग गुरुमुख बनकर एक अक्षर के जाप करने का है। इसलिये जीव का धर्म है कि वह ब्राहृनिष्ठ सन्त सदगुरुदेव की खोज करे, उनसे नाम की प्राप्ति करके उसकी कमाई करता हुआ भवसागर से पार हो जावे।

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