Tuesday, March 15, 2016

परीक्षा के लिये तीनों बेटों को बीज दिये


एक सम्राट मरने के करीब था। उसके तीन बेटे थे। उसने उन बेटों की परीक्षा लेनी चाही कि किसको वह दे दे सारा राज्य। कौन सम्भाल सकेगा, कौन मालिक बन सकेगा?उसने कहा,मैं तीर्थ यात्रा पर जाता हूँ। मुझे वर्ष दो वर्ष तीन वर्ष लग सकते हैं। मैं तुम्हारी परीक्षा के लिए एक प्रयोग करना चाहता हूँ। उसने एक एक बोरा फूलों के बीज तीनों बेटों को दे दिये और कहा जब मैं लौटूं तो मैने जो तुम्हें दिया है वह अमानत रही, वह मुझे वापिस कर देना। देखो, वह नष्ट न हो जाये। बड़े बेटे ने सोचा कि ठीक है। कैसी परीक्षा है,क्या पागलपन है। उसने एक तिजोड़ी में ताला लगाकर वह बोरा भर बीज फूलों के बन्द कर दिये।उसने कहा, जब बाप लौटेगा तो निकाल कर सारा वापिस लौटा देंगे।तीन सालों में उन बीजों का वही हुआ जो होना था, सड़ गये और राख हो गये।
     दूसरे बेटे ने सोचा,इन बीजों को कहां रखे रहूँगा।कम-बढ़ हो जाय, कुछ गड़बड़ हो जाये, इन्हें बेच दूं। जब बाप लौटेगा,फिर खरीदकर एक बोरा बीज दे देंगे। कौन पहचानेगा कि वही बीज हैं?बीजों में कोई नाम लिखा है, कोई सील लगी है?कौन झंझट सम्हालने की करेगा। उसने बाज़ार में बीज बेच दिये और रूपये लाकर तिजोड़ी में रख दिये। जब बाप आयेगा, बीज खरीदकर वापिस लौटा दूंगा।
       तीसरे लड़के ने कहा,बीज सम्हालने को बाप ने दिये हैं।बीज के सम्हालने का एक ही रास्ता हो सकता है कि बीज को बो दिया जाये। इसमें फल आ जायेंगे, फिर नये बीज आ जायेंगे। उसने बीज बो दिये। सम्हालकर रखने का पागलपन क्या। इनका  फायदा भी  ले लो, इनके
फूलों की सुगन्ध भी ले लो। उसने बीज बो दिये, मौसमी बीज थे। चार महीने भी नहीं बीत पाये, बगिया फूलों से भर गयी। सारा गांव प्रशंसा करने लगा। जब बाप तीन साल बाद लौटा तो कोसों तक, मीलों तक महल के आसपास की भूमि फूलों से भरी थी।
     बाप ने आकर पूछा अपने बेटों को, बड़े को, कि बीज कहां हैं? उसने तिजोड़ी खोली,वहां से राख और बदबू क्योंकि सब बीज सड़ गये। उसने कहा, यह रखे हैं जो आप दे गये थे। बाप ने कहा, पागल,ये फूलों के बीज थे और इनसे बदबू आ रही है। कौन है ज़िम्मेवार इस बात के लिए?पहला बेटा हार गया। दूसरा बेटे से कहा,बीज?उसने कहा,मैं अभी जाता हूँ रूपये निकाले,बाज़ार से खरीद लाता हूँ।बाप ने कहा था, बीज मैने तुझे सम्हालने को दिये थे, बेचने को नहीं दिये थे।दूसरा लड़का हार गया। क्योंकि जिसे सम्हालने को दिया गया उसे हम बेच दें।
    कुछलोग पहले की तरह हैं जिन्होने ज़िन्दगी के बीज को तिजोड़ियों में बन्द कर रखा है।ज़िन्दगी सड़ जाती है और बदबू निकलती है। कुछ लोग दूसरे लड़के जैसे हैं जो ज़िन्दगी को बाज़ार में बेच रहे हैं न मालूम कितने कितने रूपों में। जिस दिन मौत सामने आयेगी वह कहेंगे,हमने ज़िन्दगी बेच दी। किसी ने धन में बेच दी, किसी ने यश में बेच दी। वे कहेंगे अपने पिता के सामने कि यह धन है, ये तिजोड़ियाँ हैं।यह देखो हमारा पद। यह देखो कि मैं मन्त्री था, मैं महामन्त्री था यह मैं प्रधानमन्त्री था फलां मुल्क का।यह सार्टिफिकेट देखो,यह प्रमाण पत्र देखो,यह पदमश्री, राज्यश्री की उपाधियाँ देखो। हमने ज़िन्दगी बेच दी है और यह पद और धन और ये सब खरीद लिया है। लेकिन उस बाप ने कहा जो कि मैने सम्हालने को दिया था वह बेचने को नहीं दिया था और बेचना होता तो खुद बेच देता, तुझे सम्हाल कर देने की ज़रूरत क्या थी? बीज कहां हैं जो मैने दिये थे। उसके हाथ में नोटों के रूपये हैं। कागज़ के रूपये हैं। अब कहां बीज जो फूल बन सकते थे।
    वह तीसरे लड़के के पास पहुँचा कि बीज कहां है मेरे?उसने कहा, बाहर आ जाएं। बीज तिजोरियों में बन्द नहीं किये जा सकते और न नोटों में बन्द किये जा सकते हैं।वह खेतों में फैल गये हैं। बाहर आ जाएं मीलों बीजों के फूल हो गये हैं,फूल हवा में लहरा रहे हैं सूरज की रोशनी में, तितलियाँ उन पर उड़ रहीं हैं और पक्षी गीत गा रहे हैं। और बाप ने कहा,तू अकेला मालिक होने के योग्य है।
    परमात्मा भी सबको बीज देता है, जीवन भी। लेकिन कुछ लोग पहले लड़के की तरह हैं, कुछ लोग दूसरे लड़के की तरह।और बहुत थोड़े लोग तीसरे लड़के की तरह बीजों के साथ व्यवहार करते हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ तीसरे लड़के पर ध्यान रखना।कहीं आप पहले दो लड़कों के जैसे सिद्ध न हों। वह तीसरा लड़के अगर आप हो जाएं तो आपके जीवन की बगिया में भी इतने ही फूल, इतनी ही सुगन्ध इतने ही गीत गाते पक्षी निश्चित ही पैदा हो सकते हैं। परमात्मा करे आपका जीवन फूलों की एक बगिया बने।

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