Thursday, February 25, 2016

आपके दर्शन करने आता हूँ


     स्वामी रामकृष्ण परमहँस जी के श्री दर्शन करने स्वामी परम विवेकानन्द जी आते थे जब नरेन्द्र दत्त थे।ज्ञान चर्चा भी चलती।एक बार रामकृष्ण परमहँस जी ने उनसे पाँच छः दिन तक बात तक न की और नाही उनकी ओर रुख किया।आखिर श्री परमहँस जी ने मौन तोड़ा। पूछा कि जब मैं आपसे बात तक नहीं करता तो यहां क्यों आते हो? उत्तर दिया आपको क्या करना है क्या नहीं करना है वह तो महाराज आप ही जाने मैं कोई आपसे बात करने थोड़े ही आता हूँ मैं तो बस आपके श्री दर्शन करने आता हूँ।
     गुरु को केवल निहार निहार कर ही स्वामी विवेकानन्द जी कहाँ पहुँच गये। जिसने गुरुदेव को निहारने की कला सीख ली फिर उसे और कुछ करने की आवश्यकता ही कहां है?दृष्टि भी एक पथ ही होती है जिस पर जब शिष्य अपने आग्रह के पुष्प बिखेर देता है तो गुरुदेव अत्यन्त प्रसन्नता से अनुग्रह करते हुए उस पथ पर अपने पग रखते हुये स्वमेव आकर शिष्य के ह्मदय में समा जाते हैं।

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