Tuesday, February 23, 2016

सतगुरु की कृपा


          पीछे लागा जाए  था लोग वेद के साथ।।
         आगे ते सतगुरु मिला, दीपक दीन्हा हाथ।।
श्री कबीर साहिब जी फरमाते हैं कि अब तक तो लोगों की पीठ के पीछे चल रहा था। गुरु इस तरह नहीं मिलता गुरु आगे से मिला। आमने सामने।सम्मुख होकर मिला।
      एक सूफी फकीर हज की यात्रा पर गया। बूढ़ा फकीर था, तो शिष्यों ने सोचा कि उसके लिए एक गधा ले आना ठीक है। उन इलाकों में लोग गधों से यात्रा करते। तो वे गधा ले आये। लेकिन बड़े चकित हुए। क्योंकि फकीर जब उस पर बैठा तो उलटा बैठा। गधे के सिर की तरफ उसने पीठ कर ली और पूँछ की तरफ मुँह कर लिया। शिष्य कुछ कह न सके। क्या करें?गुरु बहुत मान्य थाऔर जो भी करता सदा ठीक ही करता।कोई राज़ होगा। मगर यह बड़ा बेहूदा लगता है।वे सब चले। जैसे ही गाँव में प्रविष्ट हुए,लोग हँसने लगे।भीड़ लग गई।आवारा बच्चे पत्थर-कंकड़ फैंकने लगे।लोग बाहर निकल आए घरों के। बड़ा तमाशा
होने लगा।आखिर शिष्यों को भी बड़ीबैचैनी लगने लगी।वे भी नीचा देख कर चल रहे हैं,कि जिस गुरु के साथ हम जा रहे हैं वह गधे पर उल्टा बैठा हुआ है।बदनामी तो हमारी भी हो रही है। उनकी तो हो ही रही है, मगर हम भी तो उनके पीछे चल रहे हैं, तो लोग हम पर भी हँसते हैं।
लोग उनसे भी कहने लगे,किसके पीछे जा रहे हो दिमाग खराब हो गया है?यह हज की यात्रा हो रही है?बहुत यात्राएं देखीं। यह तुम्हारा गुरु गधे पर उलटा क्यों बैठा है?आखिर उन्होने अपने गुरु को कहा कि सुनिए, इस बात को आप साफ ही कर दें। राज़ ज़रूर होगा। मगर हम बड़े मुश्किल में पड़ गये हैं। गुरु ने कहा, ऐसा है कि अगर मैं गधे पर सीधा बैठूँ तो मेरी पीठ तुम्हारी तरफ होगी।और कभी किसी गुरु की पीठअपने शिष्यों की तरफ नहीं हुई।अगर तुम मेरे पीछे चलो,मैं गधे पर सीधा बैठूँ तो मेरी पीठ तुम्हारी तरफ होगी।यह भी हो सकता है। क्योंकि मैने सभी विकल्प सोच लिए।तुम आगे चलो,मैं गधे पर बैठकर तुम्हारे पीछे सीधा चलूँ तो तुम्हारी पीठ मेरी तरफ होगी। जब गुरु की पीठ भी क्षमायोग्य नहीं है कि शिष्य की तरफ हो, तो शिष्य की पीठ गुरु की तरफ हो यह बड़ा अक्षम्य अपराध हो जाएगा। तो यही एक सुगम उपाय है,कि मैं गधे पर उलटा बैठूं, तुम मेरे पीछे चलो। आमने सामने हम रहें।(शिष्य कभी पीठ कर भी ले,परन्तु सदगुरु कभी शिष्य की तरफ पीठ नहीं करते।)

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