Tuesday, February 16, 2016

मरने के बाद भी हँसा गया


     एक साधु हुआ। वह जीवन भर इतना प्रसन्न था कि लोग हैरान थे। लोगों ने कभी उसे उदास नहीं देखा,कभी पीड़ित नहीं देखा। उसके मरने का वक्त आया और उसने कहा कि अब मैं तीन दिन बाद मर जाऊँगा। और यह मैं इसलिए बता रहा हूँ कि तुम्हें स्मरण रहे कि जो आदमी जीवन भर हँसता था,उसकी कब्रा पर कोई रोये नहीं।यह मैं इसलिए बता रहा हूं कि जब मैं मर जाऊँ तो इस झोंपड़े पर कोई उदासी नआये। यहां हमेंशा आनन्द था,यहां हमेशा खुशी थी। इसलिए मेरी मौत को दुःख मत बनाना, मेरी मौत को एक उत्सव बनाना।लोग तो बहुत दुःखी हुए, वह तो अद्भुत आदमी था। और जितना अद्भुत आदमी हो,उतना उसके मरने का दुःख घना था।और उसको प्रेम करने वाले बहुत थे, वे सब तीन दिन से इकट्ठे होने शुरु हो गये। वह मरते वक्त तक लोगों को हँसा रहा थाऔरअदभुत बातें कर रहा था।और उनसे प्रेम की बातें कर रहा था। सुबह मरने के पहले उसने एक गीत गाया। और गीत गाने के बाद उसने कहा, स्मरण रहे, मेरे कपड़े मत उतारना। मेरी चिता पर मेरे पूरे शरीर को चढ़ा देना कपड़ों सहित। मुझे नहलाना मत। उसने कहा था,आदेश था। वह मर गया।उसे कपड़े सहित चिता पर चढ़ा दिया। वह जब कपड़े सहित चिता पर रखा गया, तो लोग उदास खड़े थे,लेकिन देखकर हैरान हुए उसके कपड़ों में उसने फुलझड़ीऔर पटाखे छिपारखे थे।वे चिता पर चढ़ेऔर फुलझड़ीऔर पटाखे छूटने शुरुहो गये।और चिता उत्सव बन गयी।और लोग हँसने लगे।और उन्होंने कहा, जिसने ज़िन्दगी में हँसाया वह मौत में भी हमको हँसा कर गया।
     ज़िन्दगी को हँसना बनाना है। ज़िन्दगी को एक खुशी और मौत को भी एक खुशी। और जो आदमी ऐसा करने में सफल हो जाता है,उसकी साधना में इतनी तीव्र गति से वृद्धि होती है जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। वह अपने लक्ष्य में सफल हो जाता है।

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