Monday, February 1, 2016

एक भाई दूध में पानी मिलाता था


    एक दिन श्री वचन हुये कि किसी नगर में दो ब्रााहृण सगे भाई रहते थे।पिता की मृत्यु के पश्चात छोटे बाई ने चतुराई से सारी सम्पत्ति अपने अधिकार में रख लीऔर बड़े भाई को यूं ही कुछ थोड़ा बहुत देकर टाल दिया। बड़ा भाई नेक और ईमानदार था। उसने थोड़ी सी पूँजी से कुछ कारोबार प्रारम्भ कर दिया और जो दो-चार आना प्रतिदिन उस पूँजी से
पैदा करता, उसी से ही अपनी गृहस्थी का पालन करता था। कुछ समय पश्चात छोटा भाई उसके पास आया और कहने लगा कि मैने पिता की सारी कमाई उड़ा दी है। अब मेरे पास कुछ नहीं रहा,यहाँ तक कि भूखे मरने की स्थिति आ गई है। यदि तुम से कुछ हो सके तो मेरी सहायता करो। उसने उत्तर दिया कि मैं दो-चार आने नित्यप्रति कमाता हूँ, उससे बड़ी कठिनता से दिन कटते हैं। खैर,एक रूपया ले जा। गाँव से दूध लाकर बेचा कर। दो-तीन आने प्रतिदिन बच ही जाया करेंगे, उसी से निर्वाह करना। किन्तु सावधान! बेईमानी न करना। छोटे भाई ने रुपया ले लिया और गाँव से दूध लाकर बेचना आरम्भ किया।
    एक दिन उसके मन में पाप समायाऔर उसने दूध में पानी मिलाकर बेचना प्रारम्भ किया, यहां तक कि कुछ दिनों में बहुत धन कमाया और बहुत बड़ी दुकान खोल ली।उसमें भी कपट का व्यापार ज़ारी रखा। उस के बड़े भाई ने उसको बहुत मना किया,परन्तु वह अपने दुश्कर्म से न रुका। एक दिन बड़े भाई ने एक फकीर से कहा कि महाराज!इस संसार में बेईमान सदैव सुखीऔर धनवान होते हैंऔर ईमानदार दुःख और कष्ट में घिरे रहते हैं,इसका क्या कारण है?यह कहकर उसनेअपनाऔर अपने भाई का सब हाल बतलाया और यह भी कहा कि वह प्रायः ऐसा कहा करता हैः- ऐ ख्यानत बर तू रहमत अज़ तू गंजेयाफ्तम।।
          ऐ दयानत बर तू लानत अज़ तू रंजेयाफ्तम।।
अर्थः-ऐ बेईमानी तू फले-फूले कि तुझसे मैने खज़ाना पा लिया है। ऐ ईमानदारी तेरा नाश हो कि तुझ से मैने दुःख और कष्ट ही पाया है। फकीर ने पूछा कि वह क्या बेईमानी करता है? उसने उत्तर दिया कि
दूध में पानी मिला कर बेचता है। साधू ने पूछा कि क्या तू बता सकता है कि उसने कितने लोटे पानी अब तक दूध में मिला कर बेचा है?उसने हिसाब लगा कर गिनती बतला दी,क्योंकि वह नित्यप्रति उसको मिलाते देखता और गिनती करता रहा था।साधू ने कहा कि एक मनुष्य के कद के बराबर गढ़ा खोदो और उतने ही लोटे मापकर पानी के उसमें डाल दो।जब उसने गढ़ा खोदकर पानी भर दिया तो फकीर नेआदेश दिया कि ज़रा तू इसमें उतर कर खड़ा हो जा। जब वह गढ़े में उतरा तो उसकी गर्दन तक पानी आया। तब साधू ने उससे कहा कि अभी पानी की मात्रा उसके डूबने के लिये काफी नहीं है। जब उतने लोटे पानी और मिला लेगा, तब नष्ट हो जायेगा।और उसकी यह सम्पत्ति उसकी बेईमानी का फल नहीं अपितु उसके पूर्व जन्म के शुभ संस्कारों का फल है। किन्तु खेद! कि वह बेईमान उसको भी नष्ट कर रहा है। यदि वह बेईमानी न करता और ईमानदारी से व्यापार करता,तब भी उसे इतना धन तो समय पर मिल ही जाताऔर उसके कुछ काम भी आता,परन्तुअब तो बेईमानी करने के कारण उसकी सब सम्पत्ति नष्ट हो जायेगी।अब भी यदिसन्मार्ग पर आ जाये तो उसका बचाव हो सकता है, परन्तु उसके सिर पर तो पाप का भूत सवार है।
     वह फकीर से मिल कर घर चला आया। उसने भाई को बेईमानी करने से बहुत मनाकिया,परन्तु उसने एक न मानी बड़ा भाई दिन गिनता रहा।जब पानी के लोटों की गिनती पूरी हो गई, तो शाम के समय छोटा भाई दूध के नीचेआग बुझाकरऔर उन बुझी हुई लकड़ियों को लकड़ियों के ढेर में फेंक कर सो रहा।एक लकड़ी में संयोग सेआग लगी रह गई।
वही सुलग कर पूरा ढेर में लग गई और दुकान आदि सब जलने लगीं। वह नींद से चौंक कर उठा।अड़ोस-पड़ोस के लोग आग बुझाने को दौड़े, परन्तु व्यर्थ।जो कुछ सामान आदि था,सब जलकर राख हो गया। उसकी अंटी में केवल एक रुपया बँधा था,वही उसके पास बचा।यह वही रुपया था जो उसके बड़े भाई ने अपनी ईमानदारी की कमाई में से दिया था। सत्य है ईमानदारी की कमाई कभी व्यर्थ नही जाती।

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